एक अलग प्रयास, सही गलत पता नहीं। और जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, सही गलत से अधिक लिखने में स्वयं को आनंद आना चाहिए 🙂 पढ़िये और अपने विचार से अवगत कराइये:
मै मिथ्या हूँ, और यही सत्य है।
मै जो अंदर हूँ, वो बाहर नहीं !!
जो कथन में है, वो कर्म में नहीं !!
मै नश्वर हूँ, मै मिथ्या हूँ।।
मै सांत्वना देता हूँ, पर स्वयं दुखी !!
मै सहायता करता हूँ, पर स्वयं असहाय !!
मै निर्बल हूँ, मै मिथ्या हूँ।।
मै स्वतंत्र हूँ, पर द्वन्द से घिरा हुआ !!
मै धनवान हूँ, पर महत्वाकांक्षा का शिकार !!
मै “निर्धन” हूँ, मै मिथ्या हूँ।।
“मै” अहम है, “मै” मिथ्या है !
“मै” के बिना मै ब्रह्म, और यही परम सत्य है।।
मिथ्या एवं सत्य की सटीक मीमांसा
सटीक सोच का सुंदर expression…
अति उत्तम!सत्य है। सब दुखी हैं पर दुसरे को सान्तवना देते हैं। अपने को इसी रूप में पाया है। बहुत खूब!!
धन्यवाद भाई 🙂
Many thanks for your views, coming from you means a lot !
आपका आभार इस रचना को पसंद करने के लिए !
सच में ज्यादा हट कर है । द्वन्द और अध्यात्म का संयोजन द्वन्द और विभ्र्म के जरिये सामने लाना अद्भुद कला है जिसे अपने बखूबी पूर्ण किया 🙂
आपके विचार मिल गए और वो भी इतने उत्तम, और कुछ नहीं चाहिए; रचना सफल हो गयी 🙂
satyata ko sundarta se ukera hai aapne…shukriya iss sundar rachna ke liye…
आपका आभार, इस रचना को पसंद करने के लिये।
Thanks for liking it….
It's ultimate truth Pandey Ji linked beautiful words,Touching to the heart.beautiful,intresting,and thanks Rahul Ji
Thanks sir, you have been a constant supporter of my writing..thanks for motivation !!
Pandey Ji apne to jeevan ka saaransh likh diya hai. Jitni tareef ki jaaye utni kam hai. Likhte rahiye, bahut sundar prastuti.
dhanyavad 🙂 aapke vichar jaanne ke liye utsuk tha, abhi achchha lag raha hai :))
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Thanks very interesting blog!
Bahot ho umda likha hai sir. . Appne to satya se parichay kara diya!