कुछ हवा भी सर्द रही होगी
कुछ दर्द भरी आहें भी..!
तुम्हारी चीखों से गूंजी होंगी
वो सुनसान राहें भी…………………!

सुनी होगी तुम्हारी वेदना, पीड़ा
और तुम्हारी कराहें भी..!
तुम्हारे रुदन से, क्या न भीगी होंगी !!!
उन दरिंदों कि निगाहें भी…………………!

चाँद भी थमा होगा, रात भी ठहरी होगी,
शर्मायी होगी, तारों कि रौशनी भी..!
पर रुकी नहीं हैवानियत, और
उन वहशी दरिंदो कि दरिंदगी भी…………………!

उस सुबह शर्म आयी होगी,
सूरज को उगने में भी..!
हवाओं को बहने और
चिड़ियों को चहकने में भी…………………!

फिर एक बड़ा सैलाब आया
भावनाओं का तूफ़ान आया
“निर्भया” तुम्हारे बलिदान* से
सुषुप्त समाज में नव-ज्ञान आया…………………!

पर अब भी ‘तुम्हारा’ हिसाब बाकी है
इस क्रान्ति का असली पड़ाव बाकी है
सरकार और क़ानून तो बदलते रहेंगे
हमारे विचारों में एक बदलाव बाकी है…………………!

इस लगी चिंगारी को आग बना
अपने इस आंदोलन को सैलाब बना
बदल दे समाज की विचारधारा को
नए भारत का एक नया इतिहास बना…………………!

* I say it “बलिदान”; many people might not agree to it, but a loss of life which shakes up entire society for something could be very well termed as “बलिदान”

7 Comments

  1. Unknown December 16, 2013 at 2:06 pm - Reply

    Sarvshaktimaan Lekhni Ki Jai Ho! Sundar Rahul…

  2. Rahul Pandey's Blog December 16, 2013 at 3:43 pm - Reply

    धन्यवाद श्रीमान 🙂 आप ऐसे ही उत्साह वर्धन करते रहिये …

  3. Paurush December 16, 2013 at 6:15 pm - Reply

    बस एक शब्द, बेहतरीन !

  4. Rahul Pandey's Blog December 16, 2013 at 6:35 pm - Reply

    बहुत बहुत धन्यवाद…

  5. Akhil_Raj December 16, 2013 at 6:54 pm - Reply

    अद्भुत ..

  6. Rahul Pandey's Blog December 17, 2013 at 4:43 am - Reply

    धन्यवाद ….

  7. anuj sharma fateh May 24, 2014 at 4:54 pm - Reply

    hmesha ki trh smaj or vykti se sarthk smvaad…………bhut achchi kavita

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