भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके का राजनीतिक परिवर्तन हो रहा है। इसमें हमारे “आर्यपुत्र” और “पारस पत्थर” जी का सर्वाधिक योगदान है। ये दोनों नाम मेरे दिए हुए कदापि नहीं हैं – तो आप लोगों को जो भी उचित/अनुचित भाषा का प्रयोग करना है वो आप मेरे twitter मित्र पाण्डेय जी के लिए कीजिये 😉 ये कविता एक सरल सा हास्य व्यंग्य है, इससे ज्यादा मै नहीं समझाऊंगा क्यूंकि आप सब खुद समझदार हैं, पर अगर कुछ समझ ना आये तो भी आप हंसियेगा अवश्य:

हे बुद्धिमान
हे सत्यवान
तुम ज्ञान कुम्भ
तुम हो महान…………………………….!

तुम नीति रचयिता
तुम अनुपालक
तुम ही पीड़ित
तुम निर्णायक…………………………….!

तुम ऊर्जावान
तुम ही प्रकाश
तुम अवरोधक
तुम ही विकास…………………………….!

तुम सच्चरित्र
ईमानदार
तुम सच्चाई का
महाकाव्य…………………………….!

मर्यादपुरुष
तुम कल्पवृक्ष
तुम इस पीढ़ी के
अमर पुत्र…………………………….!

हम मिट्टी हैं
तुम “पारस” हो
हम शोषित
तुम उद्धारक हो…………………………….!

तुम पाप विनाशक
तुम दुःख हर्ता
“हम निबलों विकलों” के
तुम ही मालिक, कर्ता-धर्ता…………………………….!

अब तो आओ हे जन-नायक
कुछ नीति बनाओ, सुख-दायक
हम भी विकसे, फलें-फूलें
सरकार चलाओ इस लायक…………………………….!

हे आर्य-पुत्र, पारस-रतन, सद्भावना से पूर्ण।
जन-अभिलाषा मान कर, ये काम करो सम्पूर्ण……………………………………………..!

*=*=*=इति=*=*=*

8 Comments

  1. Unknown December 19, 2013 at 9:32 am - Reply

    Lovely…

  2. Unknown December 19, 2013 at 9:46 am - Reply

    प्रशंसनीय

  3. Rahul Pandey's Blog December 19, 2013 at 10:01 am - Reply

    Thanks 🙂

  4. Rahul Pandey's Blog December 19, 2013 at 10:01 am - Reply

    धन्यवाद 🙂

  5. anuj sharma fateh December 19, 2013 at 2:59 pm - Reply

    प्रासंगिकता और काव्य दोनों की दृष्टि से एक मजबूत रचना है …….मोहक है …………गुदगुदाती है …..साधू ……..राहुल भैया साधू ….:-)

  6. Rahul Pandey's Blog December 19, 2013 at 3:29 pm - Reply

    धन्यवाद सर…बस आशीर्वाद बना रहे, सीखना जारी है 🙂

  7. Unknown January 11, 2014 at 7:22 am - Reply

    hehehehe good one 🙂

  8. Rahul Pandey's Blog January 11, 2014 at 9:44 am - Reply

    Thanks for the appreciation… 🙂

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