चलो एक छोटा घरोंदा बनातें हैं,

कुछ ईंट तुम लाओ, कुछ हम लाते हैं। 
नफरत फैली है चारो और इस दुनिया में,
इस घरोंदें में प्यार की थोड़ी रेत मिलाते हैं।

नफरत की आंधियां, तूफ़ान बनने लगीं हैं,
घरों को, शहरों को, इंसानियत को निगलने लगीं हैं।
चलो एक जज्बातों की प्यारी दीवाल बनाते हैं,
इन आँधियों को, वापसी की राह दिखाते हैं।

बात बस इतनी सी समझनी है दोस्तों,
सियासती रंग अक्सर ‘लाल’ होता है।
घर के बंटवारे में तो फिर भी प्यार पनप सकता है,
सियासती बंटवारे में हर घर हलाल होता है।

वक़्त की ताकीद है की हमे चेत जाना है,
नफरत को छोड़, प्यार को आगे बढ़ाना हैं,
फिर चलो – एक छोटा घरोंदा बनातें हैं,

कुछ ईंट तुम लाओ, कुछ हम लाते हैं। 

और – इस घरोंदें में प्यार की थोड़ी रेत मिलाते हैं।

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