बहुत कठिन पल भी आते हैं जीवन में,
ऐसा लगता है सब कुछ थम सा गया है,
एक अँधेरा सा दिखाई देता है सामने,
और मानो रक्त जम सा गया है.
कुछ ऐसा ही दौर गुजरा मेरे भी संग,
लग रहा था ख़त्म हो गयी है उमंग,
दर्द का कोई ग़म नहीं था मुझे,
गिला था बस रब से की, क्यूँ मेरे ही संग?
ऐसा लगा प्रगति की राह थम सी जायेगी,
जिंदगी अब कभी ना पटरी पर आएगी,
सब कुछ उजड़ा सा लग रहा था सामने,
और ऐसा लगता था की उम्मीद भी टूट जायेगी.
पर अब ऐसा लगता है,
सब कुछ जीवन का एक हिस्सा है,
दर्द केवल “दर्द” का एहसास नहीं,
बल्कि हमारी जिंदगी का एक किस्सा है.
हर वक़्त सब कुछ सुनहरा नहीं होता,
ख़ुशी का रंग हमेशा गहरा नहीं होता,
लड़ने की उम्मीद बरकरार रखो,
लड़ने की उम्मीद बरकरार रखो,
क्यूंकि गम का हमेशा पहरा नहीं होता.