सुन्दरता..!
सुन्दरता कि परिभाषा, परिभाषित करने आई है.एक अनिंद्य सुंदरी सपनो में मेरे छाई है.उसके आने से फूल खिलें,पदचापों से एक लहर उठे,मेरे मन के तारों पे संगीत बजाने आई है.सुन्दरता
आज फिर से क्रांति का, बिगुल बजाते क्यूँ नहीं?
आज फिर से क्रांति का, बिगुल बजाते क्यूँ नहीं?एक नए समाज को, फिर बनाते क्यूँ नहीं?क्यूँ कर डरते हैं हम, कोई मुद्दा उठाने से?आज फिर से एक नया, इतिहास बनाते क्यूँ नहीं?कब तलक चलेगी जिंदगी यूँ
कर्मठी पुरुष..!
कर्मठी पुरुष की कार्यक्षमता प्रतिकूल परिस्थितियों में ही रंग लाती है.जिस तरह मेहँदी पत्थर पर घिसने के बाद ही काम आती है.बिना परिश्रम का जीवन तो एक नाकारा व्यक्ति ही
बारिश का इंतज़ार… !!
सूखी धरती के परतों को देखकर मन व्यथित सा हो चला,पंख लगाकर मै आकाश कि ओर उड़ चला.मन में एक प्रश्न लिए, कि!कब आएगी बहार इस ओर? कब नाचेंगे धरती पर
मेरी पहली कविता……1997
क्षण प्रतिक्षण जीवन कि नैया, मध्य भंवर को जाती है.पतवार ना हो यदि संस्कारों कि तो फिर डूब ही जाती है.इसलिए हे मनुष्य संस्कारित बनो सुविचारित बनो,जीवन के पथ पर सदैव