Hindi Poems

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Hindi Poems2020-09-21T08:38:52+05:30

स्वतंत्रता दिवस

By |August 14th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Motivational, Poem|

भारतवर्ष के ६३वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में, मैं अपने कुछ विचार प्रस्तुत करता हूँ. मुझे आशा है कि, आप सब लोग इस देश को उन्नति और समभाव के शिखर

माँ

By |August 4th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Love, Poem|

अकेले तन्हा मै बैठा हूँ, घर से इतनी दूर.पर मै भी क्या कर सकता हूँ, मै तो हूँ मजबूर.जब याद तुम्हारी आती है, ये ह्रदय व्यथित हो जाता है,तेरी आँचल कि खातिर

मेरा आवारापन..

By |August 3rd, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Others, Poem|

कई रास्ते मिले, कई मंजिलें मिलीं,जिंदगी के सफ़र में, कई मुश्किलें मिलीं..कुछ ऐसे भी मोड़ थे, जहाँ था खालीपन,पर रुकते नहीं कदम, और ये आवारापन...!!कोई साथी भी ना हो, कोई कारवां ना

कॉमन-वेल्थ खेल!

By |July 30th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Poem, politics, Satire|

पूरा सरकारी तंत्र कॉमन-वेल्थ खेल का नारा लगा रहा,कोई खेल के नियमों को, तो कोई खेल का ही किनारा लगा रहा है,बहुत सारे लोगों के भाग्य बदल गए हैं यहाँ पर,मारुती 800 छोड़ आज

हर नीद में हर ख्वाब में……!

By |July 29th, 2010|Romantic|

हर नीद में हर ख्वाब में...हर सुबह में, हर रात में...है तेरा अक्स बसा हुआ...अब मेरे हर ज़ज्बात में...मेरे दिल का हाल ना पूछ तू...हर धड़कन पे तेरा नाम है...तेरी आशिकी

क्या लिखूं?

By |July 27th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Others, Poem|

क्या लिखूं? कुछ भी समझ नहीं आता...शब्द आते है पर भाव नहीं आता...क्या भाव के बिना भी कविता बनती है?शायद आज कल ऐसी ही रचनाये दिखती हैं..मेरे मन को ये बदलाव

मैंने गाँव में हरियाली देखी थी

By |July 14th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Poem, Sad|

मैंने गाँव में हरियाली देखी थी...सुरमई शाम, और खुशहाली देखी थी...लोग एक-दूसरे से गले मिलते थे...मैने वो दिवाली और वो होली देखी थी...चिड़ियों का कलरव और गायों का रम्भाना देखा था...कंधे पर बैठे बच्चों

बारिश कि बूंदें…….

By |July 11th, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Nature, Poem|

बारिश कि बूंदों ने फिर, अपना करतब दिखलाया.धरती के सीने पर, प्यार का बादल बरसाया.मिटटी कि सोंधी खुशबू ने, घर आंगन सब महकाया.पुरवा हवा के झोकों से, फिर मेरा मन भी

बचपन के दिन…..

By |July 10th, 2010|Childhood, Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Poem|

बचपन के दिन फिर से आयें....झूला झूलें, गाना गायें....मिटटी में फिर खेलें कूदें....जब जी चाहे नदी नहायें....चिंता ना हो सर पर अपने....देखें जी भर के हम सपने....उन सपनों में फिर

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