Hindi Poems

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Hindi Poems2020-09-21T08:38:52+05:30

भावनाओ को समझो…..

By |August 22nd, 2011|Others|

"भावनाओ को समझो"...ये वाक्य आप सब ने सुना होगा. सुनील पॉल ने, इस एक वाक्य के जरिये सब को बहुत हंसाया है, गुदगुदाया है. सुनने में ये केवल एक साधारण

वन्दे मातरम्

By |August 15th, 2011|Other Writers|

रचयिता: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्यायवन्दे मातरम्सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्शस्य श्यामलाम् मातरम्शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्सुखदाम् वरदाम् मातरम्वन्दे मातरम्सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद करालेनिसप्त कोटि भुजैर्ध्रुत खरकरवालेके बोले मा तुमी अबलेबहुबल

उपवास

By |June 1st, 2011|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Poem, Satire|

मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था, बेटे का अच्छा स्वास्थ्य, पति की उन्नति और परिवार की ख़ुशी.आज कल भी लोग उपवास कर रहे हैं,कुछ टीवी के

प्रकृति (Nature)

By |May 6th, 2011|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Nature, Poem|

कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों की आवाजें भी, कैसा जादू करती हैं.पर्वत पर सूरज निकला है, किरने छन कर आती हैं,पेड़ों के पत्तों से मिल

सरकारी विद्यालय (Government School)

By |May 4th, 2011|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, MyFav, Poem, Satire|

दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस छोडो अब उठ जाओ', दादी ने आवाज़ लगायी.सुबह सवरे जो उठते हैं, उनके दिन अच्छे होते हैं,तुम भी देखो अब

Pain

By |March 24th, 2011|Sad|

बहुत कठिन पल भी आते हैं जीवन में,ऐसा लगता है सब कुछ थम सा गया है,एक अँधेरा सा दिखाई देता है सामने,और मानो रक्त जम सा गया है.कुछ ऐसा ही

By |October 2nd, 2010|Motivational|

नए पंखों के साथ,       उम्मीदों कि नयी रोशनी कि ओर,चल पड़ा हूँ मैं,      पकड़ कर साहस और स्वाभिमान कि डोर,रस्ते वही हैं,    बंद दरवाजो के ताले वही

विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है……!

By |September 23rd, 2010|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Motivational, Poem|

विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है,चुनौती लेने कि आवश्यकता है,भ्रष्ट नहीं है केवल नेता इस देश के,हमे भी सुधरने कि आवश्यकता है.........विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है!नियम/कानून बहुत से हैं इस देश में,दलाल भी

कोई दर्द आँखों में पलता है……!

By |September 18th, 2010|Sad|

कोई दर्द आँखों में पलता है,हर घड़ी, इक टीस सी देता है,हिस्सा बन गया है अब ये, मेरी ज़िन्दगी का!आँसू के रस्ते भी नहीं निकलता है.ढूंढता फिर रहा हूँ मै, अपनी

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