भावनाओ को समझो…..
"भावनाओ को समझो"...ये वाक्य आप सब ने सुना होगा. सुनील पॉल ने, इस एक वाक्य के जरिये सब को बहुत हंसाया है, गुदगुदाया है. सुनने में ये केवल एक साधारण
वन्दे मातरम्
रचयिता: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्यायवन्दे मातरम्सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्शस्य श्यामलाम् मातरम्शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित यामिनीम्फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्सुखदाम् वरदाम् मातरम्वन्दे मातरम्सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद करालेनिसप्त कोटि भुजैर्ध्रुत खरकरवालेके बोले मा तुमी अबलेबहुबल
सन्नाटे की आवाज़ !!
मै बहुत दिन से ये जानने का प्रयास कर रहा था की क्या सन्नाटे की भी कोई आवाज़ होती है, शायद नहीं, या शायद नहीं होती थी. पर अब वक़्त
उपवास
मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था, बेटे का अच्छा स्वास्थ्य, पति की उन्नति और परिवार की ख़ुशी.आज कल भी लोग उपवास कर रहे हैं,कुछ टीवी के
प्रकृति (Nature)
कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों की आवाजें भी, कैसा जादू करती हैं.पर्वत पर सूरज निकला है, किरने छन कर आती हैं,पेड़ों के पत्तों से मिल
सरकारी विद्यालय (Government School)
दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस छोडो अब उठ जाओ', दादी ने आवाज़ लगायी.सुबह सवरे जो उठते हैं, उनके दिन अच्छे होते हैं,तुम भी देखो अब
Pain
बहुत कठिन पल भी आते हैं जीवन में,ऐसा लगता है सब कुछ थम सा गया है,एक अँधेरा सा दिखाई देता है सामने,और मानो रक्त जम सा गया है.कुछ ऐसा ही
विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है……!
विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है,चुनौती लेने कि आवश्यकता है,भ्रष्ट नहीं है केवल नेता इस देश के,हमे भी सुधरने कि आवश्यकता है.........विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है!नियम/कानून बहुत से हैं इस देश में,दलाल भी
कोई दर्द आँखों में पलता है……!
कोई दर्द आँखों में पलता है,हर घड़ी, इक टीस सी देता है,हिस्सा बन गया है अब ये, मेरी ज़िन्दगी का!आँसू के रस्ते भी नहीं निकलता है.ढूंढता फिर रहा हूँ मै, अपनी