आज के “पारस पत्थर” – एक राजनीतिक व्यंग्य
भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके का राजनीतिक परिवर्तन हो रहा है। इसमें हमारे "आर्यपुत्र" और "पारस पत्थर" जी का सर्वाधिक योगदान है। ये दोनों नाम
नए भारत का नया इतिहास बना – Remembering 16 Dec 12
कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी चीखों से गूंजी होंगीवो सुनसान राहें भी.....................!सुनी होगी तुम्हारी वेदना, पीड़ाऔर तुम्हारी कराहें भी..!तुम्हारे रुदन से, क्या न भीगी होंगी !!!उन दरिंदों कि निगाहें भी.....................!चाँद भी थमा
Few Short Poems
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ अब तो वो रास्ता भी याद नहीं बिखरने लगा है अब वजूद मेरा मैं कभी जिंदा था, अब याद नहीं(2) बिछड़ने
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है कि कोई तूफ़ान आने वाला है।कल तो हद ही हो गयी!! दर्द भी नहीं हुआ!!अब तो यक़ीं हो गया, कि
My Childhood – मेरा बचपन
खुशबू की तरह महका हूँ, चिड़ियों की तरह चहका हूँ। हवाओं की तरह बहका हूँ, वो मेरा बचपन ही कुछ ऐसा ही था अब तो इस शहर में साँसों के
Aaj aur kal ke neta ji – आज और कल के नेता जी,
आज twitter पर, एक बंधू से चर्चा हो रही थी, चर्चा के ही दौरान "नेता जी" का जिक्र हो आया। हम दोनों इस बात से सहमत थे कि इस देश में तो
Asar Lucknavi – kuchh Shair
वह काम कर बुलन्द हो जिससे मजाके-जीस्त,दिन जिन्दगी के गिनते नही माहो-साल में। किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है,जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या
Khushq Aankhein aur Mera Desh
अश्क़ सूख गए कुछ इस तरह,सोचते-सोचते हो गयी सहर।ख़ुश्क़ आँखों ने फिर पूछा मुझे,दिन गुज़ारना है अब किस तरह।हर रोज़ कुछ हाल ऐसा ही है,मन में सवाल कुछ ऐसा ही है।ये इश्क़
Meri Diwali – Kal aur Aaj
इस बार दीवाली कि धूम ही कुछ और थीतेल के दिए कम और बिजली कि लड़ियों कि दौड़ थी।पर फिर भी इसमें कुछ पुरानी यादें ताजा थीं,धान कि रंगोली, तेल के दिए और
Bachpan Ki Kavitaayen – my childhood friends
बचपन की आरंभिक कविताओं की एक याद ह्रदय के किसी अंश में अब भी तारो ताजा है. यद्यपि, आज की भाग दौड़ भरी जीवन शैली एवं धन की आवश्यकताओं ने