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Hindi Poems2020-09-21T08:38:52+05:30

आज के “पारस पत्थर” – एक राजनीतिक व्यंग्य

By |December 19th, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, MyFav, politics, Satire|

भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके का राजनीतिक परिवर्तन हो रहा है। इसमें हमारे "आर्यपुत्र" और "पारस पत्थर" जी का सर्वाधिक योगदान है। ये दोनों नाम

नए भारत का नया इतिहास बना – Remembering 16 Dec 12

By |December 16th, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Motivational, Sad|

कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी चीखों से गूंजी होंगीवो सुनसान राहें भी.....................!सुनी होगी तुम्हारी वेदना, पीड़ाऔर तुम्हारी कराहें भी..!तुम्हारे रुदन से, क्या न भीगी होंगी !!!उन दरिंदों कि निगाहें भी.....................!चाँद भी थमा

Few Short Poems

By |December 14th, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Others, Sad|

(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ अब तो वो रास्ता भी याद नहीं बिखरने लगा है अब वजूद मेरा मैं कभी जिंदा था, अब याद नहीं(2) बिछड़ने

आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं

By |November 26th, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Sad|

आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है कि कोई तूफ़ान आने वाला है।कल तो हद ही हो गयी!! दर्द भी नहीं हुआ!!अब तो यक़ीं हो गया, कि

My Childhood – मेरा बचपन

By |November 24th, 2013|Childhood, Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Poem|

खुशबू की तरह महका हूँ, चिड़ियों की तरह चहका हूँ। हवाओं की तरह बहका हूँ, वो मेरा बचपन ही कुछ ऐसा ही था अब तो इस शहर में साँसों के

Aaj aur kal ke neta ji – आज और कल के नेता जी,

By |November 22nd, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Motivational, Satire|

आज twitter पर, एक बंधू से चर्चा हो रही थी, चर्चा के ही दौरान "नेता जी" का जिक्र हो आया। हम दोनों इस बात से सहमत थे कि इस देश में तो

Asar Lucknavi – kuchh Shair

By |November 18th, 2013|Other Writers, shayari, urdu|

वह काम कर बुलन्द हो जिससे मजाके-जीस्त,दिन जिन्दगी के गिनते नही माहो-साल में।  किसी के काम न जो आए वह आदमी क्या है,जो अपनी ही फिक्र में गुजरे, वह जिन्दगी क्या

Khushq Aankhein aur Mera Desh

By |November 11th, 2013|Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan, Motivational|

अश्क़ सूख गए कुछ इस तरह,सोचते-सोचते हो गयी सहर।ख़ुश्क़ आँखों ने फिर पूछा मुझे,दिन गुज़ारना है अब किस तरह।हर रोज़ कुछ हाल ऐसा ही है,मन में सवाल कुछ ऐसा ही है।ये इश्क़

Meri Diwali – Kal aur Aaj

By |November 6th, 2013|Diwali, Hindi, Hindi Kavita, Hindi Poem, Hindi Poetry, Kavita/ Ghazal/ Kahaniyaan|

इस बार दीवाली कि धूम ही कुछ और थीतेल के दिए कम और बिजली कि लड़ियों कि दौड़ थी।पर फिर भी इसमें कुछ पुरानी यादें ताजा थीं,धान कि रंगोली, तेल के दिए और

Bachpan Ki Kavitaayen – my childhood friends

By |October 26th, 2013|Childhood, Other Writers|

बचपन की आरंभिक कविताओं की एक याद ह्रदय के किसी अंश में अब भी तारो ताजा है. यद्यपि, आज की भाग दौड़ भरी जीवन शैली एवं धन की आवश्यकताओं ने

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