(1) मेरा वज़ूद
मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ अब तो वो रास्ता भी याद नहीं बिखरने लगा है अब वजूद मेरा
मैं कभी जिंदा था, अब याद नहीं
(2) बिछड़ने कि कवायद
this is for one of my friend – writing on his behalf for someone else 🙂
वो आयी अपने होंठों पे एक मुस्कान लिए हुए
अपनी आँखों में मेरे सपने, मेरे अरमान लिए हुए।।
पर ये क्या..!! ये बिछड़ने कि कवायद तो नहीं ….. ??
हम तो बैठे थे, अपनी मुहब्बत का पैगाम लिए हुए।।
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वो आयी अपने होंठों पे एक मुस्कान लिए हुए
अपनी आँखों में मेरे सपने, मेरे अरमान लिए हुए।।
पर ये क्या..!! ये बिछड़ने कि कवायद तो नहीं ….. ??
हम तो बैठे थे, अपनी मुहब्बत का पैगाम लिए हुए।।
(3) मेरी आवाज़
यूँ तूने भी साथ छोड़ दिया,
कुछ तेरी याद भी जाती नहीं।
अब सुनाये भी तो किसे ‘राहुल’