दर्द है, तो है।
दर्द है, तो है। दुःख क्यूँ? दर्द है, तो है।
दर्द है, तो है। दुःख क्यूँ? दर्द है, तो है।
मेरी उधार की ज़िन्दगी,कट रही है।बस कट ही रही है!किश्त
कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
बहुत कठिन पल भी आते हैं जीवन में,ऐसा लगता है
कोई दर्द आँखों में पलता है,हर घड़ी, इक टीस सी देता
मैंने गाँव में हरियाली देखी थी...सुरमई शाम, और खुशहाली देखी