स्वतंत्रता दिवस और बचपन के दिन !!
हमारे जीवन में चाहे कितना भी दुःख क्यों ना हो, स्वतंत्रता
हमारे जीवन में चाहे कितना भी दुःख क्यों ना हो, स्वतंत्रता
कई बार सोचा की इस अनुभव को आप लोगों के
काफी दिनों से व्यस्तता और समयाभाव के कारण लिखना संभव
इलाहाबाद....!! कहाँ से शुरू करूँ..… एक ऐसा शहर जो कि
आज कल लिखने का भूत लगा हुआ है मुझे, ऐसा
देखिये हमारे इस लेख के शीर्षक पर मत जाईये, ये
राजनीति हमारे समाज का इक अभिन्न अंग है, चाहते या ना