Mai Achchha Hoon…
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
काले मेघों का एक जत्था दूर गगन में छाया,ऐसा सुन्दर
मन में एक हलचल सी थी,धुआं था पर आग ना थी।पूछ
आज मैंने सुबह उठ कर ये समाचार सुना की, दिल्ली
रातों के अंधेरों में, इन उजले सबेरों में,घनघोर घटाओं में,
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
मै बहुत दिन से ये जानने का प्रयास कर रहा
मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था,
कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों
दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस