Hum Badlenge (Be The Change)
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है,चुनौती लेने कि आवश्यकता है,भ्रष्ट नहीं है
मेरी ये कविता वीर रस कि है, मैंने अपने भावों
भारतवर्ष के ६३वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में, मैं अपने
आज फिर से क्रांति का, बिगुल बजाते क्यूँ नहीं?एक नए समाज को, फिर बनाते क्यूँ नहीं?क्यूँ
कर्मठी पुरुष की कार्यक्षमता प्रतिकूल परिस्थितियों में ही रंग लाती
क्षण प्रतिक्षण जीवन कि नैया, मध्य भंवर को जाती है.पतवार ना