मै मिथ्या हूँ, और यही सत्य है
एक अलग प्रयास, सही गलत पता नहीं। और जैसा कि
एक अलग प्रयास, सही गलत पता नहीं। और जैसा कि
वेदना क्या केवल स्वरों सेमुख के हाव भाव व्यर्थतुम्हे मेरे
हमारे जीवन में चाहे कितना भी दुःख क्यों ना हो, स्वतंत्रता
कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी
आज twitter पर, एक बंधू से चर्चा हो रही थी, चर्चा
अश्क़ सूख गए कुछ इस तरह,सोचते-सोचते हो गयी सहर।ख़ुश्क़ आँखों ने
चलो एक छोटा घरोंदा बनातें हैं,कुछ ईंट तुम लाओ, कुछ हम
पत्थरों के हैं ये जंगल, पत्थरों के ये मकां,बन गया
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
मन में एक हलचल सी थी,धुआं था पर आग ना थी।पूछ