जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी?
जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी? जो दिल
वो जिसे इश्क़ कहते हैं, ज़िस्मानी नहीं होता
वो जिसे इश्क़ कहते हैं, ज़िस्मानी नहीं होता। वरना
जब धरा पर आंच आयी, वीर वो आगे बढ़े
जब धरा पर आंच आयी,वीर वो आगे बढ़े।दुश्मनों के पैर
हिज्र का वक़्त है, फिर मिलें ना मिलें
हिज्र का वक़्त है, फिर मिलें ना मिलेंइक हर्फ़ ही सही, थोड़ा तो गुनगुना दे!तिरा ख़ंजर मिल गया यूँ मिरी पीठ से झूठा ही सही, चंद अश्क़ तो बहा दे।ज़मानतों पर रिहा अब ज़िंदगी अपनीजो भी कर, चल फ़ैसला तो सुना दे।ऐसा क्यूँ कि लहू बिखरा है मैदानों मेंकम-से-कम इश्क़ वाली हवा तो चला दे।तू आया, ठहरा और फिर चल दियाजा मगर अपनी यादों को तो ठहरा दे।
इक वक़्त के बाद
उम्मीदें साथ नहीं देतीं इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद अमल करना पड़ता है।हौसला मगर मुमकिन है इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद कदम बढ़ाना पड़ता है।दिलासे झूठे हो जाते हैं इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद साथ निभाना पड़ता है।तुम गये और याद भी गयी इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद चेहरा दिखाना पड़ता है।दिल जुड़ा फिर टूटा भी इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद प्यार जताना पड़ता है।
जब चली मेरी क़िस्मत मुझे छोड़ कर
जब चली मेरी क़िस्मत मुझे छोड़ कर बाजुओं पर मेरे फिर यक़ीं आ गया।
एक नया प्रयास – शायद शेर हैं ये या तुकबंदी ;)
रात को सुबह होने तक मत देख।कुछ सपने देख, सपनों