Hum Badlenge (Be The Change)
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
मै बहुत दिन से ये जानने का प्रयास कर रहा
मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था,
कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों
दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस
विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है,चुनौती लेने कि आवश्यकता है,भ्रष्ट नहीं है
मेरी ये कविता वीर रस कि है, मैंने अपने भावों
भारतवर्ष के ६३वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में, मैं अपने
अकेले तन्हा मै बैठा हूँ, घर से इतनी दूर.पर मै
कई रास्ते मिले, कई मंजिलें मिलीं,जिंदगी के सफ़र में, कई