Few Short Poems
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है
खुशबू की तरह महका हूँ, चिड़ियों की तरह चहका हूँ।
आज twitter पर, एक बंधू से चर्चा हो रही थी, चर्चा
अश्क़ सूख गए कुछ इस तरह,सोचते-सोचते हो गयी सहर।ख़ुश्क़ आँखों ने
इस बार दीवाली कि धूम ही कुछ और थीतेल के दिए
चलो एक छोटा घरोंदा बनातें हैं,कुछ ईंट तुम लाओ, कुछ हम
पत्थरों के हैं ये जंगल, पत्थरों के ये मकां,बन गया
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
काले मेघों का एक जत्था दूर गगन में छाया,ऐसा सुन्दर