जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी?
जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी? जो दिल
हम उस समय के पुरवहिया हैं
पूर्वांचल में जब सीधे पल्ले का चलन था, हम उस
माँ
तुम्हारा अस्तित्व उससे है, तुम्हारा व्यक्तित्व उससे है। वो हर
तुम भी दोस्त क्या ख़ाक जीते हो
भीड़ में जो इस कद्र तन्हा घूमते हो, तुम भी
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं, कुछ बताते हैं, कुछ
तेरे उसूल गुनहगार हैं मेरे बिखर जाने के
तेरे उसूल गुनहगार हैं मेरे बिखर जाने के,तेरे एहसासों के कदरदान हम पहले भी थे।साँस आती थी तेरे पास आने के बाद,ज़िंदगी पे तुम मेहरबान पहले भी थे।ग़म का साया दूर रहा तेरे होने से,निचले पायदान पर हम पहले भी थे।दूर से ही सही, पर साथ निभाते रहना,मेरे बाग़ के बाग़बान तुम पहले भी थे।
अपने गीतों में मेरा नाम गुनगुनायेगी
अपने गीतों में मेरा नाम गुनगुनायेगी,लफ्ज़ बन कर मेरे रूह पे वो
जब धरा पर आंच आयी, वीर वो आगे बढ़े
जब धरा पर आंच आयी,वीर वो आगे बढ़े।दुश्मनों के पैर