Purani Yaaden
पुरानी यादें भी कभी ताजा कर लो,पूरे किस्से नहीं तो,
पुरानी यादें भी कभी ताजा कर लो,पूरे किस्से नहीं तो,
बड़े अरसे से आरज़ू थी, कि तेरा दीदार करें,तू वक़्त
रातों के अंधेरों में, इन उजले सबेरों में,घनघोर घटाओं में,
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
मै बहुत दिन से ये जानने का प्रयास कर रहा
मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था,
कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों
दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस
विचारधारा बदलने कि आवश्यकता है,चुनौती लेने कि आवश्यकता है,भ्रष्ट नहीं है
मेरी ये कविता वीर रस कि है, मैंने अपने भावों