साथ तुम्हारा….!
सम्भव है साथ तुम्हारा हो हाथों में हाथ तुम्हारा हो।
सम्भव है साथ तुम्हारा हो हाथों में हाथ तुम्हारा हो।
एक अरसेसे कुछ लिखा ही नहीं।ऐसा नहीं कि कुछ मिला ही नहीं!कलम
एक अलग प्रयास, सही गलत पता नहीं। और जैसा कि
वेदना क्या केवल स्वरों सेमुख के हाव भाव व्यर्थतुम्हे मेरे
हर्ष, उल्लास, फैला चहुँ ओर,देखो-देखो आया माखन चोर।नटखट चाल, दधि, मुख पर
सत्य क्या है ?जो आँखों के सामने घटित हुआ?जो इतिहास
भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके
कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है