बड़े अरसे से आरज़ू थी, कि तेरा दीदार करें,
तू वक़्त दे या ना दे मुझे, पर तुझे प्यार करें.
बड़ी मुद्दत के बाद आया हूँ तेरे दर पर,
अब तेरी मर्ज़ी चाहे इकरार करे या इंकार करे.

मैंने छोड़ा था तेरा दर, वो दिन याद है मुझे,
सवाले इश्क से मुकरा था, वो दिन याद है मुझे,
आज खुद ही आया हूँ तेरी महफ़िल में,
कभी ठुकराया था तेरा नजराना, वो दिन याद है मुझे.

देख ली दुनिया सारी मैंने! तेरे बिन,
कुछ भी नहीं इस ज़माने में.
लौट के आया हूँ तेरी बज़्म में मैं,
बड़ा जज्बा है तेरे प्यार के फ़साने में.

इल्तिजा तू सुन ले तेरे एक दीवाने की,
फिर चाहे तो मुझे याद करे या ना करे.

One Comment

  1. Anonymous February 5, 2012 at 8:27 am - Reply

    Really a touching lines..I must say its from the bottom of heart.bahut si ankahi-ansuni baten keh jati hai…

    Gaurav

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