जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी?
जो यूँ ही गुज़र जाये वो ज़िन्दगी कैसी? जो दिल
हम उस समय के पुरवहिया हैं
पूर्वांचल में जब सीधे पल्ले का चलन था, हम उस
वो जिसे इश्क़ कहते हैं, ज़िस्मानी नहीं होता
वो जिसे इश्क़ कहते हैं, ज़िस्मानी नहीं होता। वरना
यही इश्क़ है
ये जो तेरा सर झुका कर शर्माना है, यही इश्क़
मसरूफ़ हो मगर इश्क़ किया करो
कभी यूँ ही बेमतलब साथ दिया करो, मसरूफ़ हो मगर
माँ
तुम्हारा अस्तित्व उससे है, तुम्हारा व्यक्तित्व उससे है। वो हर
तुम भी दोस्त क्या ख़ाक जीते हो
भीड़ में जो इस कद्र तन्हा घूमते हो, तुम भी
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं, कुछ बताते हैं, कुछ