Hum Badlenge (Be The Change)
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
एक नया स्वर गूँज रहा है, इस धरती से अम्बर तक.मिलकर
"भावनाओ को समझो"...ये वाक्य आप सब ने सुना होगा. सुनील
रचयिता: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्यायवन्दे मातरम्सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्शस्य श्यामलाम् मातरम्शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकित
मै बहुत दिन से ये जानने का प्रयास कर रहा
मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,कारण था,
कितनी अच्छी नदियाँ हैं, कल कल कर के बहती हैं,चिड़ियों
दादी: हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,'आलस
आज कल लिखने का भूत लगा हुआ है मुझे, ऐसा
देखिये हमारे इस लेख के शीर्षक पर मत जाईये, ये
बहुत कठिन पल भी आते हैं जीवन में,ऐसा लगता है