Bachpan Ki Kavitaayen – my childhood friends
बचपन की आरंभिक कविताओं की एक याद ह्रदय के किसी
बचपन की आरंभिक कविताओं की एक याद ह्रदय के किसी
चलो एक छोटा घरोंदा बनातें हैं,कुछ ईंट तुम लाओ, कुछ हम
पत्थरों के हैं ये जंगल, पत्थरों के ये मकां,बन गया
बसों में जूझती ज़िन्दगी को देखता हूँ, तो
काले मेघों का एक जत्था दूर गगन में छाया,ऐसा सुन्दर
मन में एक हलचल सी थी,धुआं था पर आग ना थी।पूछ
आज मैंने सुबह उठ कर ये समाचार सुना की, दिल्ली
पुरानी यादें भी कभी ताजा कर लो,पूरे किस्से नहीं तो,
बड़े अरसे से आरज़ू थी, कि तेरा दीदार करें,तू वक़्त
रातों के अंधेरों में, इन उजले सबेरों में,घनघोर घटाओं में,