पूर्वांचल में जब सीधे पल्ले का चलन था,
हम उस समय के पुरवहिया हैं।
तुमने स्मार्टफोन के जमाने को जाना है,
हम अन्तरदेसी के पढ़वहिया हैं।
पर हमीं हैं जिसने दोनों जमाने देखे हैं,
बैलगाड़ी हाँके हैं और कार जोते हैं।
ई PUBG खेलने वाले का जानेंगे,
कि हम कितने बड़े लड़वइया हैं।
चूल्हे का खाना घर में मिलता था,
तंदूरी से अधिक मोटकी रोटी का मजा था।
मिक्सी में पिसी चटनी खाने वाले का जाने?
सिल-लोढ़ा की चटनी के कइसे खवइया हैं।
लकड़ी के पटरी से टैब तक सब घिसे हैं,
कोल्हू में बैल के साथ खुद भी पिसे हैं।
ई इंस्टा रील पर लिप सिंक करने वालों,
हम कजरी, फगुआ और चइता के गवइया हैं।
हाँ, दूनो ज़माने से प्यार उतना ही है,
आगे बढ़ते रहने का शौक उतना ही है।
पर अपने नींव पर गर्व अब भी है,
कहीं भी हों, हमेशा पुरवहिया हैं।