कभी यूँ ही बेमतलब साथ दिया करो,
मसरूफ़ हो मगर इश्क़ किया करो।

उसके जाने से चली जाती है जन्नतें,
बेवफ़ा ही सही साथ उसका दिया करो।

बरसता है पानी बेशुमार चश्म से मिरे,
दर्द दो पर हाल भी पूछ लिया करो।

वो मनाते हैं जश्न मिरा दिल टूटने का,
खैर उनका ये हक़ न छीन लिया करो।

चलो सजाते हैं घर अपना शीशे का,
वो अपने ही हैं, हाथ में पत्थर दिया करो।

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