चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं,
कुछ बताते हैं, कुछ सुनाते हैं।
वो पिछली छुट्टी का साथ बिताना,
वो समंदर के किनारे बैठे गुनगुनाना।
वो हँसना और रात भर हँसाना,
चलो उन क़िस्सों को फिर जी आते हैं।
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं।
उनके साथ फ़िज़ूल की बातें करना,
और उन बातों की खाल निकालना।
और फिर मजाक में सब भूल जाना,
चलो कहानियों के नयें दौर चलाते हैं।
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं।
बहुत हुआ “करोना के बाद मिलेंगे”,
“अभी मीटिंग में हूँ, फिर बात करेंगे”।
क्यों ना पाँच मिनट आज ही बतियाते हैं,
चलो दोस्तों को फ़ोन लगाते हैं,
कुछ बताते हैं, कुछ सुनाते हैं।