स्वतंत्रता दिवस और बचपन के दिन !!
हमारे जीवन में चाहे कितना भी दुःख क्यों ना हो, स्वतंत्रता दिवस का उत्सव अवश्य मनाना चाहिए। ये इस बात का प्रतीक है की हम सभी इस देश के प्रति कितने
नए जीवन का आरम्भ – first days of my work (February 2006)
कई बार सोचा की इस अनुभव को आप लोगों के साथ साझा करूं, पर अक्सर ये दूसरी प्राथमिकताओं में कहीं पीछे छूट गया। आज फिर से याद आया और समय
झिंगुरी मिस्त्री – मेरे गाँव के महारथी !!
काफी दिनों से व्यस्तता और समयाभाव के कारण लिखना संभव नहीं हो पाया। आज सोचा कुछ लिखूं तो समझ नहीं आया - क्या?? बहुत सोच विचार कर मै अपने गाँव
मै और मेरा इलाहाबाद 🙂
इलाहाबाद....!! कहाँ से शुरू करूँ..… एक ऐसा शहर जो कि मेरे घर से बाहर मेरा पहला बसेरा बना। मुझे बहुत अच्छे से याद है, जुलाई महीने कि वो बादलों से
दिल्ली और मै…
आज कल लिखने का भूत लगा हुआ है मुझे, ऐसा लग रहा है चोरी ना हो गयी किसीने मेरी बोरियत चुरा ली हो (ज्यादा जानने के लिए पढ़े मेरा पिछला
ताकि आप ये न कहें कि और चोरी हो गयी….!!
देखिये हमारे इस लेख के शीर्षक पर मत जाईये, ये तो केवल आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए रखा गया है. परन्तु मै झूठ कदापि नहीं बोल रहा हूँ, हाँ
मेरा राजनैतिक अनुभव: २०१०
राजनीति हमारे समाज का इक अभिन्न अंग है, चाहते या ना चाहते हुए भी हम इससे जुड़े रहते हैं. यह संभव है कि हम प्रत्यक्ष रूप से इसकी निंदा करें परन्तु