आज मैंने सुबह उठ कर ये समाचार सुना की, दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार महिला की मृत्यु हो गयी है। मेरे पास शब्द नहीं है इस परिस्थिति का वर्णन करने के लिए, पर मैं अपनी भावनाओं को अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुत करना चाहता हूँ:
भावनाएं बिखरी हुयी है आज मेरे मन के अन्दर
रूह तक काँप गयी है मेरी, देख कर ये मंजर।
क्या ऐसे हालत के लिए दोषी नहीं हैं हम,
लड़कियां ‘दूसरे दर्जे’ की नागरिक हैं, ऐसा क्यूँ है वहम।
केवल सरकार ही जिम्मेदार नहीं है इस परिस्थिति के लिए,
सामाजिक सोच और हमारे विचार ही कारण है इसके लिए।
सडको पर देखा मैंने लोगों को अपना गुस्सा जताते,
बात कर रहें है लोग हर जगह, आते और जाते।
आवश्यक है इस उर्जा को संचालित करने का,
इस देश के लिए सही सरकार और सही समाज देने का।
प्रण लेना होगा की, सही मतदान करेंगे हम,
एक नयी सरकार और एक नयी सोच चुनेंगे हम।
महिलाओं को उनका मौलिक अधिकार दिलाना होगा,
एक सुरक्षित भारत बनाने के लिए, सामाजिक परिवर्तन लाना होगा।
Politically well placed…change is here!!!
Absolutely.. hope this change works…