काले मेघों का एक जत्था दूर गगन में छाया,
ऐसा सुन्दर हुआ नजारा, मन को मेरे भाया।
हवा से मिलकर जल की बूंदे, सिहरन सी फिर लायीं,,
धरती माँ ने अपना सुन्दर, अद्भुत आँचल लहराया।

खेतों में धानों के पौधे हरियाली बिखराएँ,
देख-देख कर अपनी मेहनत, यूँ किसान हर्षाये।
ताल-तलैया उमड़-उमड़ कर अपनी ख़ुशी जताएं,
चिड़ियों का कलरव भी जैसे राग मल्हार सुनाये।

ऐसा सुन्दर दृश्य मनोरम, नितदिन यूँ ही आये,
दुःख बिसरे, मन नृत्य करे; खुशहाली ही छाये।

Leave A Comment