हर्ष, उल्लास, फैला चहुँ ओर,
देखो-देखो आया माखन चोर।

नटखट चाल, दधि, मुख पर सोभित,
श्याम रंग, सर पर पंख मोर।

प्रेमी, सखा, इष्ट, सारथि, रूप कई
जैसे चाहो पूजो तुम, पाप कटेंगे घोर।

6 Comments

  1. Deaf Mamma August 19, 2014 at 5:51 am - Reply

    पाण्डेय जी आपने प्रेरणा का काम किया है आज. लीजिये प्रस्तुत हैं कुछ पंक्तियाँ :

    साँझ होए सो आये धेनु चरइया,
    जाकी मैया रूठे तो बजाये मुरलिया

    राधा की मटकी फोड़ी जाने,
    ते जाके गोपियाँ संग निरे ताने बाने

    जीवन का सार दियो अर्जुन को,
    गीता का पाठ सीखा दियो कलयुग को

    आज है कुंज गलियन में शोर,
    नन्द के आनंद भयो है नंदकिशोर

  2. Rahul Pandey's Blog August 19, 2014 at 7:27 am - Reply

    वाह-वाह-वाह ……कितनी बार कहूँ :)) आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है। बस एक बात पूछनी थी – "नन्द के आनंद" है या "नन्द के आंगन" है? ये अगर इतनी ही और बढ़ जाए तो छप सकती है :)) अतिसुन्दर !!

  3. Deaf Mamma August 19, 2014 at 7:59 am - Reply

    Vaise bhajan main to anand hai. Lekin yahan aangan shabd jyaada sateek lag raja hair.

  4. Unknown August 19, 2014 at 10:21 am - Reply

    वाह-वाह अतिसुन्दर

  5. Rahul Pandey's Blog August 19, 2014 at 11:16 am - Reply

    धन्यवाद सर 🙂 आगे बढ़ा पाऊंगा तो मन को और भी अच्छा लगेगा।

  6. Deaf Mamma August 21, 2014 at 11:28 am - Reply

    Pandey Ji, i have shared krishna poem on my blog.

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