आज कल एक नया शगूफ़ा आया है बाज़ार में – ह्यूमन सेंटर्ड डिजाइन (Human Centered Design or HCD). अब क्या है ये HCD? आइये देखते हैं कि विकिपीडिया ने HCD की क्या परिभाषा बताई है:
“HCD is an approach to problem-solving, commonly used in design and management frameworks that develops solutions to problems by involving the human perspective in all steps of the problem-solving process. Human involvement typically takes place in observing the problem within context, brainstorming, conceptualizing, developing, and implementing the solution.”
इसका सीधा अर्थ यह है कि किसी भी समस्या का समाधान ढूंढने के लिये, उस समस्या से प्रभावित लोगों के बीच जाइये और उनके साथ मिलकर विभिन्न समस्याओं को चिन्हीकरण करिये, उसके समाधान के ऊपर चर्चा करिये, समाधान की रूप रेखा तैयार करिये और फिर समाधान को कार्यान्वित करिये।
और सीधी भाषा में बात करें तो अब विशेषज्ञ लोग अपना दिमाग नहीं लगायेंगे और आपको ही आपकी समस्या का समाधान ढूंढने के लिये कहेंगे। अब यह बात यहाँ मैंने मज़ाक में कही है परन्तु यह एक गंभीर बात है। इतने वर्षों बाद ही सही पर बुद्धिजीवी वर्ग को यह समझ में आ रहा है कि जिसकी समस्या है उसकी भागीदारी समस्या निवारण के नियोजन एवं क्रियान्वयन में भी होनी चाहिये।
अब बात करते हैं कि HCD का प्रयोग व्यवहार परिवर्तन के लिए कैसे कर सकते हैं और मुख्यतः COVID-19 के विषय में इसकी क्या भूमिका है।
एक कहानी, शायद बहुत घरों में हुई होगी या सुनी होगी, कि कैसे घर के बड़े जब छोटे बच्चे ढिबरी/दिया के पास हाथ ले जाने से नहीं मानते थे तब वो एक बार बच्चे के ऊँगली जलते दिए में लगा देते थे और बच्चे उसके बाद सब समझ जाते थे। अब ये उस समय का HCD था जिसमे जिसकी समस्या है उसे समस्या से रूबरू करा दो हमेशा के लिए व्यवहार परिवर्तन हो जाएगा। यही हाल अब COVID-19 का हो गया है। हमारी ऊँगली ढिबरी की लौ में लग गयी है और हमें जलन महसूस हो रही है और अब हमें व्यवहार परिवर्तन करना ही पड़ेगा। पर कैसे?
चलिये पहले विभिन्न समस्याओं का चिन्हीकरण करते हैं:
- विषाणु (वायरस) घर के अंदर कहाँ-कहाँ से आ सकता है? – कोई बाहर से घर के अंदर आये, बाहर का कोई सामान घर के अंदर आये आदि।
- विषाणु घर के अंदर कहाँ-कहाँ रह सकता है? – घर के दरवाजों के हैंडल पर, बिस्तर पर, बाहर से आये सामान पर आदि।
- विषाणु शरीर के अंदर कैसे प्रवेश कर सकता है? – विषाणु केवल आँख, मुँह और नाक के रास्ते शरीर में अंदर जा सकता है और ये मुख्यतः दो ही तरीके से हो सकता है – (i) कोई संक्रमित व्यक्ति आपके पास में हो और छींके या खाँसे या (ii) आपके हाथ किसी संक्रमित सतह को छूये हों और वही हाथ आँख, नाक या मुँह में लगे।
अब इन समस्याओं को दूर कैसे कर सकते हैं?
१-विषाणु को घर के अंदर आने से रोकना –
- कोई भी व्यक्ति बाहर से आने पर घर के दरवाजे पर हाथ न लगाये, घर के अंदर का ही व्यक्ति ही दरवाजा खोले। यदि घर में कोई नहीं है तो चाभी से दरवाजा खोलने के बाद सीधे पहले अपने हाथ साफ़ करें और दरवाजे के हर हिस्से को साफ़ करें जो आपने छूआ हो। प्रयास करें कि, यदि संभव हो तो, दरवाजे के एकदम पास में ही अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर रखा हो ताकि आप घर के बहुत अंदर जाये बिना ये सफाई का काम कर सकें।
- बहार से जो व्यक्ति आ रहा है, चाहे वो परिवार का व्यक्ति हो या घर में काम करने वाला, सबसे पहले उस व्यक्ति का हाथ साफ़ करायें इससे पहले कि वो व्यक्ति घर का कोई भी सामान छूये।
- बाहर से जो सामान आया है उसे एक किनारे रखें और सफाई का पालन करें। अधिक जानकारी आपको इस पोस्ट में मिल जायेगी।
- प्रयास करिये कि घर के बिस्तर तक तभी कोई जाय जब वो अपनी सफाई कर चुका हो।
- घर के दरवाजे, उसके हैंडल्स, बिस्तर इत्यादि की सफाई करते रहिये।
२-विषाणु को शरीर के अंदर प्रवेश करने से रोकना –
- जैसा कि आपने मेरे पिछले एक पोस्ट में पढ़ा, हर व्यक्ति दिन भर में हजारों बार अपने हाथ से अपने मुँह और इसके विभिन्न हिस्सों को छूता है। अब इसे जितना कम कर सकें हमें करना चाहिये। पर पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है इसलिये हाथ की स्वच्छता रखना ही एक सही समाधान है।
- आपको लगेगा की शायद में अति कर रहा हूँ पर दिन में जितनी बार हाथ धो सकते हैं धोते रहिये। जब भी आपको लगे कि आपने कोई ऐसी वस्तु या सतह छुई है जो कि संक्रमित हो सकती है, उसी समय हाथ साफ़ करिये।
- अब जबकि संक्रमण चारो तरफ फैल चुका है, प्रयास करिये कि जब भी घर से बाहर निकलें अपने चेहरे को ढँक कर रखें।
अब बहुत से लोग ये बोल सकते हैं कि गाँव में या गरीब लोगों के यहाँ इतनी सारी साफ-सफाई संभव नहीं है। तो मेरा एक साधारण सा सवाल है – अपना हाथ तो साफ़ रख ही सकते हैं और चेहरा ढँक कर? इसीलिये मैंने पहले भी बोला कि जिसके जैसे संसाधन हैं उन्ही से पूछिये कि “इतने तरीके से यह विषाणु आपके अंदर प्रवेश कर सकता है, आप इसे अपने सीमित सन्साधनों के साथ कैसे रोकेंगे?” इतना ही है HCD, हम वो समाधान ना बतायें जो हमें सही लगे, हम सीधे जनता से ही पूछें कि “यदि समस्या X है तो उसका समाधान क्या होगा? और अगर समाधान Y होगा तो आप अपने संसाधनों के साथ इसे कैसे करेंगे?”
हम सभी को स्वयं में परिवर्तन तो लाना ही है पर HCD विशेषज्ञ बन कर अपने आस-पास के लोगों से समस्या का चिन्हीकरण करवाना है और समाधान ढुँढ़वाना है।
एक गृह-कार्य करेंगे आप? अपने घर से ही शुरू करिये। बिना उत्तर बताये आप ऊपर लिखे सवाल करिये और पूछिये कि विषाणु कैसे और कहाँ-कहाँ से घर और शरीर के अंदर आयेगा और हम उसे कैसे रोक सकते हैं। व्यवस्था परिवर्तन में सरकारें केवल भागीदार हो सकती हैं सम्पूर्ण कर्ता-धर्ता नहीं। हमें और आपको मिल कर अपनी छोटी जिम्मेदारी निभानी है और लोगों को व्यवहार परिवर्तन के लिये प्रेरित करना है।
जय हिन्द…….. !!