यूँ न देखो मुझे आइने में सनम,
मेरे चेहरे की रंगत संवर जाती है।
तुम न गुज़रो मेरे रास्तों से सनम,
तेरे साँसों की ख़ुशबू क़हर ढाती है।
जो बुलाओ मुझे चाँद कह कर कभी,
मेरे चेहरे की लाली ठहर जाती है।
पास आओ मेरे साथ बैठो ज़रा,
मेरी नासाज़ तबियत सुधर जाती है।
एक अरसा हुआ तुमसे बिछड़े हुये,
तेरी यादों में जाँ अब निकल जाती है।