2020

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सजीव या अभिज्ञ

रक्त में उबाल है, ‬‪और हृदय में उद्वेग।‬‪मज्जा है कशेरुकाओं में,‬‪और शिराओं में वेग।‬‪ये प्रमाण हैं-‬‪हमारे सजीव होने का।‬‪पर क्या हम अभिज्ञ हैं?‬‪या मात्र सजीव?‬‪इन दोनो प्रश्नों में निहित है-‬‪अस्तित्व या अस्तित्व-विहीन होने की परिभाषा।‬

इक वक़्त के बाद

उम्मीदें साथ नहीं देतीं इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद अमल करना पड़ता है।हौसला मगर मुमकिन है इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद कदम बढ़ाना पड़ता है।दिलासे झूठे हो जाते हैं इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद साथ निभाना पड़ता है।तुम गये और याद भी गयी इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद चेहरा दिखाना पड़ता है।दिल जुड़ा फिर टूटा भी इक वक़्त के बाद,इक वक़्त के बाद प्यार जताना पड़ता है।

जब चली मेरी क़िस्मत मुझे छोड़ कर

                जब चली मेरी क़िस्मत मुझे छोड़ कर        बाजुओं पर मेरे फिर यक़ीं आ गया। 

यूँ न देखो मुझे आइने में सनम

यूँ न देखो मुझे आइने में सनम,मेरे चेहरे की रंगत संवर जाती है।तुम न गुज़रो मेरे रास्तों से सनम,तेरे साँसों की ख़ुशबू क़हर ढाती है।जो बुलाओ मुझे चाँद कह कर कभी,मेरे चेहरे की लाली ठहर जाती है।पास आओ मेरे साथ बैठो ज़रा,मेरी नासाज़ तबियत सुधर जाती है।एक अरसा हुआ तुमसे बिछड़े हुये,तेरी यादों में जाँ अब निकल जाती है।

Corona से युद्ध

इस अदृश्य शत्रु को,चलो धूल चटाते है।दूरी बना कर, पर एक साथ,चलो corona भगाते हैं।ये युद्ध भी विचित्र है,सामने असली चरित्र है।संवेदना का हथियार लाते हैं,चलो corona भगाते हैं।खलनायक को लात मार,और नायक को पहचान कर।चलो जय-जयकार लगाते हैं,चलो corona भगाते हैं।ये दृश्य विहंगम ना सही,सब प्रश्न अनुत्तरित ही सही।एक दूसरे का साथ निभाते हैं,चलो corona भगाते हैं।

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