आज के “पारस पत्थर” – एक राजनीतिक व्यंग्य
भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके
भारत, खास करके दिल्ली, में एक अलग और अच्छे तरीके
कुछ हवा भी सर्द रही होगीकुछ दर्द भरी आहें भी..!तुम्हारी
इलाहाबाद....!! कहाँ से शुरू करूँ..… एक ऐसा शहर जो कि
(1) मेरा वज़ूद मैं कहीं खुद को ही छोड़ आया हूँ
आज कल खुशियाँ मेरा पता पूछ रही हैं।मुझे शक़ है
खुशबू की तरह महका हूँ, चिड़ियों की तरह चहका हूँ।
आज twitter पर, एक बंधू से चर्चा हो रही थी, चर्चा
वह काम कर बुलन्द हो जिससे मजाके-जीस्त,दिन जिन्दगी के गिनते
अश्क़ सूख गए कुछ इस तरह,सोचते-सोचते हो गयी सहर।ख़ुश्क़ आँखों ने
इस बार दीवाली कि धूम ही कुछ और थीतेल के दिए