दादी:
हुआ सबेरा, चिड़ियाँ आई, एक अनोखी घटा है छाई,
‘आलस छोडो अब उठ जाओ’, दादी ने आवाज़ लगायी.

सुबह सवरे जो उठते हैं, उनके दिन अच्छे होते हैं,
तुम भी देखो अब उठ जाओ, ऐसे ना, बच्चे रोते हैं.

समय हो गया विद्यालय का, सारे बच्चे जाते हैं,
तुम भी जल्दी से आ जाओ, वर्ना मास्टर आते हैं.

पोता:

दादी तुम कितनी अच्छी हो, मुझे रोज जगाती हो,
इतनी जल्दी मुझे संवार के, विद्यालय भगाती हो.

पर तुमको क्या बतलाऊं, वहां की क्या कहानी है,
मास्टर जी तो खैनी बनाते, स्वेटर बुनती मास्टरानी हैं.

सारे बच्चे खूब खेलते, मास्टर नहीं पढ़ाते हैं,
जब भी कोई पूछे उनसे, डांट-२ कर भगाते हैं.

इसीलिए तो मैं सोता हूँ, मुझे अभी ना उठना है,
ऐसा ही है यदि विद्यालय तो, वहां जा कर क्या करना है?

2 Comments

  1. Unknown December 6, 2013 at 12:40 pm - Reply

    Sashakt tatha bhaavnatmak varnan hai Rahul… 🙂 Vyangya yeh hai ke bas yehi satya hai … jo bharat humne chaaha tha yeh vidhi ke vidhaan ki vidambana hai!

  2. Rahul Pandey's Blog December 6, 2013 at 12:48 pm - Reply

    dhanyavad dost…aur aapne sahi kaha yahi satya hai…par kuchh humko bhi karna padega…

Leave A Comment