राजनीति हमारे समाज का इक अभिन्न अंग है, चाहते या ना चाहते हुए भी हम इससे जुड़े रहते हैं. यह संभव है कि हम प्रत्यक्ष रूप से इसकी निंदा करें परन्तु हमें इस बात का ज्ञान है कि इसके बिना हमारे समाज कि व्यवस्था नहीं चल सकती. किसी व्यक्ति विशेष लिए राजनीति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जब वो या उसके परिवार को कोई सदस्य राजनीति का एक हिस्सा बनने के लिए कदम उठता है. 


इस बार ऐसा ही मेरे साथ हुआ; भारतवर्ष के सबसे बड़े प्रदेश (उत्तर प्रदेश) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों कि घोषणा कि गयी और मेरे पिताजी ने पिछले १५ वर्षों से चली आ रही व्यवस्था को चुनौती देने का साहस किया. हमारे गाँव के लिए यह एक महत्वपूर्ण विषय था क्यूंकि बहुत सारे मुद्दों पर पिछले १०-१५ वर्षों में अनदेखी कि गयी थी. मैंने और मेरे परिवार ने पहले तो इस बात का विरोध किया कि उनको इस राजनीति में नहीं आना चाहिए परन्तु परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि अंततः हमारे पूरे परिवार ने पिताजी का साथ देने का निश्चय किया. 


यह इक नया अनुभव था पूरे परिवार के लिए. यूँ तो पिताजी पहले भी राजनीति का हिस्सा रह चुके हैं और उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश में मजदूर संघ के संचालन को इक नयी दिशा दी थी, परन्तु गाँव कि राजनीति उनके लिए भी एक नया अनुभव था. उनका विश्वास था पिछले १०-१५ वर्षो में गाँव के लोगों के लिए कि गयी निःस्वार्थ सेवा उनको गाँव कि राजनीति में आगे आने में मदद करेगी. उनके विश्वास को और मजबूती देने के लिए हमारा पूरा परिवार इस पहल में उनके साथ हो लिया. 


मैंने अपनी स्नातक कि पढाई के दौरान कुछ राजनैतिक गतिविधियों में भाग लिया था परन्तु यह मेरे लिए पूरी तरह से एक नया अनुभव था. गाँव कि समस्याएं हर परिवार के लिए अलग होती हैं, इसलिए इक सार्वजनिक मुद्दे पर चुनाव लड़ना मुश्किल होता है. इसलिए हमने हर परिवार कि समस्याओं का विश्लेषण किया और कुछ अति महत्वपूर्ण मुद्दों को इस चुनाव में उठाया जो कि गाँव के बहुसंख्य लोगों से सम्बंधित थीं.


मैंने अपने १२-१५ दिन के प्रवास में ये अनुभव किया कि राजनीति में आने के लिए केवल उत्साह और महत्वाकांक्षा को होना जरूरी नहीं है, बल्कि मूलभूत समस्याओं का सही ज्ञान और उनके निस्तारण करने कि सही योजना का होना भी बहुत जरूरी है. कम से कम ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान, मतदाता और भी अधिक सतर्कता से निर्णय लेते हैं क्यूंकि वे एक-एक प्रत्याशी के आचार-विचार, कार्यशैली और इतिहास को बखूबी जानते हैं. इसके अतिरिक्त मतदाता का अपना स्वार्थ भी उसके निर्णय में एक भूमिका निभाता है. 


मेरे  गाँव के चुनाव में भी ये सारी बातें देखने को मिली; जहाँ एक तरफ कुछ प्रत्याशियों ने जम कर पैसा बहाया, दूसरों ने खाने-खिलाने का काम किया. यह सब काले धन का कमाल था. चूँकि हमारी विचारधारा भी इन बातों से मेल नहीं खाती थी और हमारे पास काले धन का कोई स्रोत नहीं था, हमने अपने आप को इनसे दूर रखा. परन्तु आश्चर्यजनक बात यह थी कि खाने और पैसा लेने के बाद इनमे से कुछ मतदाता हमारे पास आते थे और हमको बोलते थे कि ये सारे हथकंडे अब उनके ऊपर काम नहीं आने वाले और उन्हें पता है कि यह केवल चार दिन कि चांदनी हैं. उन्होंने यंहा तक भी कहा कि उनका निर्णय इन हथकंडो पर नहीं बल्कि उनकी समस्याओं पर निर्भर होगा.


हमने एक-एक घर जा कर अपनी बात राखी, ना बल का प्रदर्शन किया ना ही पैसे कि ताकत दिखाई; हमने हर एक परिवार को इस विश्वास में लेने कि कोशिश कि यदि हम सत्ता में आते हैं तो किस प्रकार हर परिवार कि समस्यों को दूर करने कि कोशिश करेंगे. कुछ अन्य प्रत्याशियों ने जातिवादी राजनीति को हवा देने कि कोशिश के परन्तु हमने गाँव के सारे लोगों से एक जैसा व्यवहार किया. कुछ अन्य बातें जो सीखने को मिली:
१) गाँव कि राजनीति को केवल राजनैतिक पहलू से देखने कि कोशिश ना करें. बहुत सारे मुद्दे व्यक्तिगत होते हैं, जिनका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.
२) हर परिवार के समस्या अलग हो सकती है, और आपके पास हर इस समस्या के समाधान कि योजना होनी चाहिए.
३) जहाँ तक संभव हो जातिगत राजनीति से अपने को दूर रखना चाहिए और किसी जाती विशेष के प्रति कोई प्रतिकूल टिपण्णी नहीं करनी चाहिए.
४) गाँव के प्रभावशाली और प्रबुद्ध लोगों को अपने विचारों से प्रभावित करना चाहिए और ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वे आपकी बातों से प्रभावित हों.
५) गाँव का युवा वर्ग एक महत्वपूर्ण कड़ी होता है, आपके पास ऐसी योजनायें होनी चाहिए जिससे वे आपसे जुड़ जाएँ.


चुनाव हो चुके हैं और अब परिणाम कि प्रतीक्षा हो रही है, मुझे विश्वास है कि हमारा प्रदर्शन बेहतर होगा. अगर हम जीत जातें हैं तो इस गाँव के इतिहास में पहली बार होगा कि एक प्रबुद्ध एवं शिक्षित परिवार शासन कि बागडोर संभालेगा. इसी उम्मीद के साथ मैं अभी आप सबसे विदा लेता हूँ और ये आशा करता हूँ कि परिणाम हमारे पक्ष में आये.


धन्यवाद!



5 Comments

  1. Patali-The-Village October 25, 2010 at 4:52 pm - Reply

    सच्चाई की हमेसा जीत होती है|

  2. Jai bhardwaj October 25, 2010 at 7:29 pm - Reply

    जग निष्ठुर है , शिव सुन्दर है,
    सत्य विजेता रहा सदा /
    मन में हो जब सत्य भाव तो
    'कलियुग' त्रेता बना सदा //

  3. Surendra Singh Bhamboo October 27, 2010 at 6:50 am - Reply

    ब्लाग जगत की दुनिया में आपका स्वागत है। आप बहुत ही अच्छा लिख रहे है। इसी तरह लिखते रहिए और अपने ब्लॉग को आसमान की उचाईयों तक पहुंचाईये मेरी यही शुभकामनाएं है आपके साथ
    ‘‘ आदत यही बनानी है ज्यादा से ज्यादा(ब्लागों) लोगों तक ट्प्पिणीया अपनी पहुचानी है।’’
    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    मालीगांव
    साया
    लक्ष्य

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    कृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।

  4. Rahul Pandey's Blog October 27, 2010 at 7:10 am - Reply

    sabhi ko dhanyavad…mai asha karta hoo ki aage bhi meri lekhni aise hi chalti rehegi…

  5. संगीता पुरी October 30, 2010 at 1:48 pm - Reply

    इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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