देखिये हमारे इस लेख के शीर्षक पर मत जाईये, ये तो केवल आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए रखा गया है. परन्तु मै झूठ कदापि नहीं बोल रहा हूँ, हाँ चोरी हो गयी और वो भी दिन दहाड़े.. किसी को कानो कान पता भी नहीं चला. चलिए आपको मै ज्यादा संदेह में ना रखते हुए, पूरी कहानी बताता हूँ.
कल (April 27, 2011) मै जब ऑफिस से घर पंहुचा तो देखा मेरे घर के अन्दर लाइट जल रही है और प्रकाश आ रहा है, मुझे लगा कि संदीप (मै और संदीप साथ रहते हैं) घर के अन्दर होगा. परन्तु जब मैंने नजदीक जा कर देखा तो मेरी ऑंखें खुली रह गयी…ये तो चोरी हो गयी…. घर का ताला टूटा हुआ…सारा सामान जमीन (तीसरी मंजिल के फर्श को भी मै जमीन बोल रहा हूँ) पर फैला हुआ था. कपड़ो की दशा तो ऐसी लग रही थी जैसे किसी अंतरराष्ट्रीय पहलवान ने कपडे जमीन पर फैला कर कुश्ती लड़ी हो. मेरे तो होश उड़ गए, ये क्या हो गया भगवान, मै अभी यही सोच रहा था कि तब तक मेरी नजर कोने में रखे छोटे स्टूल की तरफ गयी जहाँ पर मेरा नया, छोटा सा, प्यारा सा टीवी रखा होता था. ये वही टीवी था जिसको हमने वर्ल्ड कप देखने के लिए खरीदा था..वो अब वहां नहीं था..थी तो वो खाली जगह जहा मेरा टीवी रखा होता था, रिमोट भी नहीं छोड़ा था कमबख्तों ने.

फिर मैंने सोचा कि, क्या ये चोर केवल टीवी लेने आया था, इसके लिए उसने इतनी मेहनत कि…मैं सदमे से थोडा बाहर निकल  रहा था और मेरा दिमाग धीरे-२ चल रहा था, कपड़ो की दशा साफ़ बता रही थी की जरूर चोर भाई साहब ने हर कोने में कुछ कीमती सामन ढूँढने की कोशिश कि है, पर हम कंगालों के पास उनको पता नहीं था कि कुछ भी नहीं मिलने वाला. पर उन्होंने चोरी तो कि और कुछ ऐसा ले गए शायद जिसे वो अपनी पूरी जिंदगी में नहीं कमा पाए थे, मेरे सर्टिफिकेट व मार्क शीट..मुझे ऐसा लग रहा है कि चोरों को पढाई का बहुत शौक था, इसलिए वो मेरे कागजात लेकर गए, नहीं तो कुछ ज्यादा कपडे ही लेकर चले जाते.

अब मै आपको क्या बताऊँ, नया-२ इतर (deodorant) खरीदा था, जालिमों ने वो भी नहीं छोड़ा. आज जब मै थोडा फ्री बैठा हूँ तो कुछ विश्लेषण करने का विचार हुआ: चोर तीन चीजें लेकर गया १- टीवी (छोटा सा, प्यारा सा) २- मेरे कागजात एवं ३- इतर. चोर कोई आज के ज़माने का पढने वाला क्रिकेट प्रेमी था. तभी तो उसने ये चीजें चुराईं.
अब जो भी हो टूटा दरवाजा मुझे घूर रहा था और बोल रहा था कि “तुम्हारे घर में चोरी हो गई…, किसीने तुम्हारे दुनिया में अतिक्रमण कर दिया और तुम कुछ नहीं कर पाए”. ऐसा नहीं है मैंने कुछ नहीं किया, पुलिस को बुलाया, शिकायत दर्ज कि और मै आपको बताऊँ, जब मै दिल्ली पुलिस से मिला तो उनका व्यहार देखकर मै चोरी को भूल ही गया. मुझे पता ही नहीं था की पुलिस वाले इतने प्यार से बात करते हैं. जी मुझको भी पता था कि मेरा सामान नहीं मिलने वाला है, पर जितने प्यार से उन्होंने ये बात मुझे बताई, मै तो सब कुछ भूल गया. दिल्ली पुलिस जिंदाबाद.
अब जी ऐसा है कि मैंने दरवाजा ठीक करवा लिया है, आज मै ऑफिस भी नहीं गया था, चोर ने हमारी जिंदगी दो-चार दिन के लिए बदल दी है, आज एक बात और समझ में आई कि लाइफ में चोरी होने कि सूरत में हालात से लड़ने के लिए प्लानिंग जरूर होनी चाहिए. इसीलिए मैंने एक पुलिस वाले से दोस्ती बढ़ा ली है, भई कम से कम रिपोर्ट लिखाने में तकलीफ तो नहीं होगी, सामान तो वैसे भी नहीं मिलना है.
तो दोस्तों अपने ताले और दरवाजे एक बार और ध्यान से देख लीजिये क्यूंकि मेरे यहाँ तो चोरी हो गयी. 🙁

वो आये मेरी ज़िन्दगी में इस तरह , कि हालात बदल गए.
लुट गयी दुनिया मेरी, और मेरे खयालात बदल गए.

2 Comments

  1. pinky bulchandani September 7, 2011 at 7:46 am - Reply

    ha ha ha…. bohot achha likha h sir.. specially last two lines 😉

  2. Rahul Pandey's Blog September 7, 2011 at 7:50 am - Reply

    Thanks…apne upar jab gujarti hai to shabd khud-bakhud nikal aate hain.

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