मैंने बचपन में देखा था, माँ को उपवास करते,
कारण था, बेटे का अच्छा स्वास्थ्य, पति की उन्नति और परिवार की ख़ुशी.
आज कल भी लोग उपवास कर रहे हैं,
कुछ टीवी के सामने तो कुछ समाचार पत्र में प्रचार कर.
उद्देश्य उनका है देश का विकास और जनता की भलाई!!
परन्तु क्या सच में यही कारण है उनके उपवास का? 
थोडा मनन और चिंतन के बाद एक अनूठा तथ्य सामने आया,
जिसने मेरे दिमाग के नसों को थोडा हिलाया.
दुकाने नहीं चल रही थी कुछ ठेकेदारों की,
जेबें खाली हो रहीं थी इन बेचारों की.
इन्होने सोचा, गाँधी के विचारों को बैसाखी बनाते हैं,
लोगों को अपने राजनैतिक भंवर जाल में फसांते हैं.
एक अच्छे व्यक्ति के नाम का सहारा लेकर,
चलो जनता को फिर से मूर्ख बनाते हैं.
कुछ ऐसा ही हो रहा है इस देश में आजकल,
चारो तरफ मच रही है उपवास की हलचल.
आप को भी यदि मनवानी हैं अपनी कुछ मांगें,
शुरू कर दीजिये उपवास बाकी सारे प्रयास छोड़ कर.
कोई तो सुनेगा आपकी मांग, आकर देगा कुछ तो आश्वासन,
काम हो या ना हो आपका, वृहद् रूप से होगा आपके नाम का प्रसारण.

2 Comments

  1. Unknown November 13, 2013 at 10:59 am - Reply

    Aap sundar aur meaningful kavita likhte hai. Bless you

  2. Rahul Pandey's Blog November 13, 2013 at 11:04 am - Reply

    Aapka bahut-bahut dhanyavad; bhavnaaon ko pirone ka, shabdon se achchha aur koi tareeka nahi hota hai

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