पिछले कुछ सालों में स्वास्थ्य क्षेत्र के आंकड़ों में भी जबरदस्त सुधार आया है – माता मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भरी गिरावट आयी है। लेकिन पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त। आपको यह जान कर शायद आश्चर्य ना हो कि भारत की जनता लगभग ७०% स्वास्थ्य सेवायें निजी क्षेत्र से लेती हैं और इसका असर उनके आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है। एक सुदृढ़ बीमा व्यवस्था के आभाव में बीमारी का लगभग ६०-७०% खर्चा जनता को स्वयं वहन करना पड़ता है; अलग-अलग स्रोतों से यह सिद्ध हुआ है कि इस व्यस्था से करीब २-३ करोड़ लोग हर वर्ष गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं। यह एक बहुत ही दुखद स्थिति है और इससे निपटने की रणनीति होना आवश्यक है।
इस परिस्थिति से लड़ने के लिए २००८ में भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्रारम्भ की। इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को चिकित्सा के दौरान आर्थिक लाभ देने का प्रावधान किया गया। इस सुविधा का लाभ इम्पैनल किये गए सरकारी एवं निजी क्षेत्र के अस्पतालों में लिया जा सकता है। करीब २५ राज्यों ने इस योजना को अपनाया और करीब ३ करोड़ से ज्यादा परिवार इसके अंदर सम्मिलित किये गए। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि ऐसे जगहों में स्वास्थ्य सुविधायें मिलने लगी, जहाँ पहले नहीं थीं। लेकिन इस योजना में एक ही कमी थी कि प्रत्येक लाभार्थी परिवार, एक साल में कुल रु. ३०,००० तक का ही लाभ ले सकता है। इससे बड़ी बिमारियों के कारण होने वाले आर्थिक व्यय से लाभ नहीं मिल पाया।
इसी विषय को हल करने के लिए, भारत सरकार ने “आयुष्मान भारत – राष्ट्रिय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन” की घोषणा की। यह मिशन अलग-अलग बिखरी हुई स्वास्थ्य व्यस्थाओं को एक साथ ला कर, एक सम्मिलित प्रयास के माध्यम से सही परिणाम लाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। यह न केवल दक्षता को बढ़ाएगा बल्कि अस्पताल में होने वाली अधिकांश लागतों के लिए वित्तीय स्वास्थ्य संरक्षण भी प्रदान करेगा, जिससे चिकित्सा में होने वाले स्वयं के खर्च में कमी आएगी। इस मिशन के अंतर्गत प्रति लाभार्थी परिवार रु. ५ लाख का बीमा कवर मिलेगा और करीब ११ करोड़ गरीब परिवारों को यह लाभ मिल पायेगा। जब यह योजना पूरी तरह से लागू होगी, तब यह विश्व की सबसे बढ़ी सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य बीमा योजना होगी। इस मिशन के दो प्रमुख उद्देश्य हैं – (i) गरीब परिवारों के लिए वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाना, एवं (ii) इन परिवारों को गुणवत्ता भरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना।
यह योजना स्वास्थ्य क्षेत्र की दक्षता एवं परिणामों में सुधार के लिए, सरकारी एवं निजी क्षेत्र से अस्पताल में भर्ती हो कर इलाज कराने की सेवाओं की सामरिक खरीद के माध्यम से काम करती है। यह योजना राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच एक निर्धारित किये गए अनुपात के आधार पर वित्तीय सहभागिता पर कार्य करेगी और क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व दोनों के ऊपर होगा। वर्तमान में करीब २५ राज्य इस योजना से जुड़ चुके हैं, आईटी प्लेटफार्म लगभग बन कर तैयार हो चुके हैं, राज्यों का प्रशिक्षण किया जा रहा है और इससे जुड़ी टीम लगभग १०-१२ घंटे रोज (शनिवार और रविवार को भी) काम कर रही है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह योजना आगे चल कर भारत के जान स्वास्थ्य के इतिहास का मील का पत्थर साबित होगी।
जाते जाते एक बात आप सबसे साझा करना चाहूंगा। हम सबके मन में यह कौतूहल होगा कि आखिर अच्छे स्वास्थ्य की परिभाषा क्या है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार: