आज फिर से क्रांति का, बिगुल बजाते क्यूँ नहीं?
एक नए समाज को, फिर बनाते क्यूँ नहीं?
क्यूँ कर डरते हैं हम, कोई मुद्दा उठाने से?
आज फिर से एक नया, इतिहास बनाते क्यूँ नहीं?
कब तलक चलेगी जिंदगी यूँ ही उम्मीद पर?
हम खुद कि एक डगर नयी, बनाते क्यूँ नहीं?….Rahul
Beautiful…..