अपने गीतों में मेरा नाम गुनगुनायेगी,
लफ्ज़ बन कर मेरे रूह पे वो छायेगी।

बात करने से ही बात बनेगी यारों,
उसकी हर बात में बात मेरी आयेगी।

दूर होने पर उसे फिक्र जो होगी,
ऐसे रिश्ते में दरार कहाँ आयेगी।

तल्ख़ मिज़ाज़ हुए वो तो ग़म नहीं,
ज़ज़्बातों से ठंढी घटा फिर छायेगी।

बुलाने का ढंग अब बदलिये हुज़ूर,
हर्फ़ में एहसास घोलिये, वो आयेगी।

Leave A Comment